इस लेख में हम आपको इस्लाम धर्म के संस्थापक कौन थे islam dharm ke sansthapak kaun they इस की सच्चाई बताएंगे. दुनिया में बहुत सारे धर्म है और उनके संस्थापक है. सभी धर्मों का कोई न कोई संस्थापक है तो इस्लाम का भी होना चाहिए इसलिए लोगोंमे के दिमाग में इस्लामके बारे मे भी यही धारणा है के इसका भी कोई इंसान संस्थापक है या होगा. इसी कारण इस्लाम धर्म के संस्थापक कौन थे? या इस्लाम धर्म के संस्थापक कौन है? islam dharm ke sansthapak kaun hai इस तरह के सवालात लोग पूछते है. या हमें अक्सर पढने मिलते है. इसका उत्तर जो प्रचलित है, जो हमें पढाया जाता है वह यह है के "इस्लाम धर्म के संस्थापक हजरत मुहम्मद थे और उन का जन्म 570 ई. में मक्का में हुआ था." लोग इसे सही मानकर इसपर विश्वास भी कर लेते हैं. लेकिन हकीकत यह नहीं है.
यह बात तो सही है के हजरत मुहम्मद साहब का जन्म 570 ई. में मक्का में हुआ था और वह इस्लाम के पैगम्बर थे. लेकिन वह इस्लाम धर्म के संस्थापक थे यह बात गलत है. दुर्भाग्य से बहुत सारे मुस्लमान भी सही इस्लामी ज्ञान की कमी की वजह से यही समझते है और दूसरोंको भी यही बताते है. हजरत मुहम्मद साहब इस्लामके संस्थापक नहीं थे वह इस्लाम धर्म के पैगम्बर (प्रवर्तक) थे. अब यह सवाल पैदा होता है के अगर हजरत मुहम्मद साहब इस्लाम के संस्थापक नहीं है तो इस्लाम की स्थापना किसने की? इस्लाम के संस्थापक कौन है? इस्लाम धर्म कैसे बना?
इस्लाम क्या है What is Islam
आम तौर पर लोग जिसे धर्म समझते है उस माने में इस्लाम एक धर्म नहीं है. इस्लाम सिर्फ भगवान की पूजा पाठ और कुछ रस्म व रिवाज बतानेवाला एक धर्म नहीं है. इस्लाम का अगर हम सखोल अभ्यास करें तो हमें मालूम होता है के इस्लाम एक जीवन प्रणाली है जो हमारे जीवन के हर क्षेत्र में हमारा मार्गदर्शन करता है. इंसान जन्म लेनेसे लेकर उसके मृत्यु तक उसको अपने जीवन के हर लम्हे को कैसे गुजरना चाहिए इसका उसको मार्गदर्शन देता है. यह मार्गदर्शन मुहम्मद साहब का बनाया हुवा नहीं है.
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जो जिस चीज़ का बनानेवाला होता है वह उसकी अच्छाई या बुराई, उसकी सफलता या असफलता किस में है यह जितना अच्छी तरह जानता है दूसरा कोई नहीं जान सकता. यह मार्गदर्शन उस ईश्वर (अल्लाह) का बनाया हुवा है जिसने हम इंसानों को पैदा किया है. हजरत मुहम्मद साहब और उनसे पहले भी जितने पैगम्बर आये उन्हें ईश्वरने इस जीवन व्यवस्था को या मार्गदर्शन को इंसानों तक पहुंचाने और उसके अनुसार इस धरतीपर जीवन गुजारकर दिखाने और लोगोंको सिखाने केलिए नियुक्त किया था. इस तरह वह ईश्वर के पैगम्बर थे न की इस्लाम के संस्थापक.
इस्लाम धर्म कैसे बना How islam formed
हम कुरआन का अध्ययन करते है तो हमें समझ में आता है के इंसानो को बनानेवाले ईश्वर (अल्लाह) ने जब पहला मानव बनाकर इस धरती पर भेजा तो उसे ईश्वरी मार्गदर्शन देकर भेजा। इस धरती का पहला आदमी "आदम" और उसकी पत्नी जब आकाश से धरती पर आये तो अपने साथ ईश्वरी मार्गदर्शन रूपी प्रकाश लेकर आये. इसी ईश्वरी मार्गदर्शन का नाम इस्लाम है. उसी मार्गदर्शन के अनुसार वह दुनिया में जीने लगा और और वही ईश्वरी मार्गदर्शन उसने अपनी संतान को भी सिखाया.
एक वक्त के बाद उस पहले इंसान का मृत्यु हो जाता है. लोग जन्म लेते रहे और उनको मृत्यु आती रही. आदम का बताया हुवा ईश्वरी मार्गदर्शन एक नसल से दूसरी नसल तक पहुँचता रहा. लेकिन गुजरते वक्त से साथ आहिस्ता आहिस्ता बिगाड़ आता गया. लोग मूल ईश्वरी मार्गदर्शन को भूलते गए और लोगोंने अपनी कल्पनाओं को उसमे शामिल करना शुरू किया. यहांतक के असल ईश्वर (अल्लाह) को भूलाकर उन्होंने अपने काल्पनिक खुदा बना दिए.
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सूरज को खुदा बनाया, नदियोंको खुदा बनाया, पत्थर को खुदा बनाया, जानवरोंको खुदा बनाया, उन इंसानोमेसे जो अच्छे लोग मर गए उनके मरनेके बाद उन्हें भी खुदा बना दिया, उन मरे हुए लोगोंकी मूर्तियां बनाकर उनकी भक्ति शुरू की, अपने नियम बनाएं, और अपनी मनमानी जिंदगी गुजारनी शुरी की. तब ईश्वर ने उन्हीमेंसे एक इंसान को चुनकर उसे अपने दूतो द्वारा अपना ईश्वरी मार्गदर्शन दिया और उसे खुद भी उसपर चलने केलिए कहा और उसे दुसरोंतक उस मार्गदर्शन को पहुंचानेकी जिम्मेदारी सौंपी. इस तरह वह मार्गदर्शन या व्यवस्था फिर इंसानो को याद दिलाई जाती और लोग उसपर चलते रहे.
जब जब लोग मूल ईश्वरी मार्ग दर्शन को भूल जाते ईश्वर उन्ही लोगोमेसे एक अच्छे आदमी को चूनकर उसे अपने दूतो द्वारा अपना मार्दर्शन देता रहा और उसे दूसरे इंसानो तक इसे पहुँचाने की जिम्मेदारी देता रहा. इंसानी समाज के ऐसे अंधकारी वक्त में जब वह ईश्वरी मार्गदर्शन को भुला चुके होते है जिस इंसान को ईश्वर (अल्लाह) चुनता है, नियुक्त करता है, उसे पैगम्बर कहते है.
पैगम्बर किसे कहते है Who is Prophet
पैगम्बर इस शब्द का अर्थ होता है पैगाम (massage) पहुँचानेवाला. पैगाम पहुँचानेवाला दुसरेकी बात को तीसरे तक पहुंचता है. पैगम्बर को पैगम्बर इसी लिए कहा जाता है क्योंकि वह ईश्वर का पैगाम इंसानो तक पहुंचता है. उसमे उसका काम असल पैगाम को जैसे के तैसे तीसरे तक पहुँचाना होता है. उसमे उसकी अपनी कोई बात या बातें नहीं होती है. सारे पैगम्बरोंको दिए गए मार्गदर्शन में यह बात सामूहिक थी के निर्माता एक ही है, हम सब इंसान भी एक ईश्वर (अल्लाह) की निर्मिति है. उसकी ही भक्ति करनी चाहिए उसके सिवा किसी दूसरे को या उसके साथ किसी को निर्माता नहीं मानना चाहिए. और नहीं किसी और की भक्ति करनी चाहिए.
इस्लाम का नामकरण
एक मुस्लिम विद्वान ने इस्लाम के नामकरण के बारेमे जो लिखा है उसे हम यहाँ नकल करते है. उसे पढ़कर भी आप को इस्लाम क्या है? इस्लाम की स्थापना किसने की यह समझना आसान हो जायेगा. वह विद्वान लिखते है के,
"संसार में जितने भी धर्म हैं, उनमें से हर एक का नाम या तो किसी विशेष व्यक्ति के नाम पर रखा गया है या उस जाति के नाम पर जिस में वह धर्म पैदा हुआ। मिसाल के तौर पर ईसाई धर्म का नाम इस लिए ईसाई धर्म है कि उस का सम्बन्ध हज़रत ईसा (अ०) से है। बुद्ध मत का नाम इस लिए बुद्ध मत है कि इस के प्रवर्तक महात्मा बुद्ध थे। जरदुश्ती धर्म (Zoroastrianism) का नाम अपने प्रर्वतक जरदश्त (Zoroaster) के नाम पर है। यहूदी धर्म एक विशेष कबीला में पैदा हुआ, जिसका नाम यहूदाह (Judha) था।
ऐसा ही हाल दूसरे धर्मों के नामों का भी है, परन्तु इस्लाम की विशेषता यह है कि वह किसी व्यक्ति या जाति से संबन्धित नहीं है. बल्कि उस का नाम एक विशेष गुण को ज़ाहिर करता है जो 'इस्लाम" शब्द के अर्थ में पाया जाता है। इस नाम से स्वयं विदित है कि यह किसी व्यक्ति के मस्तिष्क की उपज नहीं है, न किसी विशेष जाति तक सीमित है। इस का सम्पर्क व्यक्ति, देश या जाति से नहीं, केवल "इस्लाम का गुण लोगों में पैदा करना इस का उद्देश्य है, प्रत्येक युग और प्रत्येक जाति के जिन सच्चे और नेक लोगों में यह गुण पाया गया है, वे सब "मुस्लिम" थे. मुस्लिम हैं और भविष्य में भी होंगे।"
इस्लाम धर्म का इतिहास History oh Islam
आम तौरपर लोग पैगम्बर मुहम्मद साहब को इस्लाम का संस्थापक समझते है. इसलिए पैगम्बर मुहम्मद साहब के बाद के इतिहास को इस्लाम का इतिहास समझते है. यह समझना गलत है. हमने अभी तक ऊपर जो चर्चा की है उस से यह बात समझ में आती है के कुरआन के अनुसार जो पहला इंसान इस धरतीपर आया था वह अपने साथ जो ईश्वरी मार्गदर्शन लेकर आया था वह इस्लाम है.
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उसके बाद जितने भी पैगम्बर आये थे उन्हें जो ईश्वरी मार्गदर्शन मिला था वह इस्लाम है. इसलिए हम कह सकते है के इंसान इस धरतीपर जब आया तब से अभी तक का इतिहास इस्लाम धर्म का इतिहास है. या हर पैगम्बर के बाद का इतिहास इस्लाम धर्म का इतिहास है. इसलिए पैगम्बर मुहम्मद साहब के बाद का इतिहास इस्लाम का पूर्ण इतिहास न होकर इस्लाम धर्म के इतिहास का एक भाग है.
निश्कर्ष Conclusion
- ईश्वर (अल्लाह) ने इंसान को जब पहली बार इस धरती पर भेजा तो मार्गदर्शन देकर भेजा.
- ईश्वर द्वारा दिए गए मार्गदर्शन कोही इस्लाम कहते है. और इस्लाम सिर्फ ईश्वर की पूजा पाठ और कुछ रस्म व रिवाज बतानेवाला एक धर्म नहीं है. इस्लाम एक जीवन प्रणाली है जो हमारे जीवन के हर क्षेत्र में हमारा मार्गदर्शन करती है.
- जब जब लोगोने ईश्वरी मार्गदर्शन को भुलाया ईश्वरने उन्ही लोगोंमेसे एक व्यक्ति को चुनकर उसे अपने दूतो द्वारा अपना मार्गदर्शन देकर उसे इंसानोतक पहुंचनेका प्रबंध किया.
- सारे पैगम्बरोंको दिए गए मार्गदर्शन में यह बात सामूहिक थी के निर्माता एक ही है, हम सब इंसान भी एक ईश्वर (अल्लाह) की निर्मिति है. उसकी ही भक्ति करनी चाहिए उसके सिवा किसी दूसरे को या उसके साथ किसी को निर्माता नहीं मानना चाहिए. और नहीं किसी और की भक्ति करनी चाहिए.
- ईश्वर (अल्लाह) द्वारा इंसानोतक ईश्वरी मार्गदर्शन पहुंचनेकेलिए नियुक्त किए गए शख्स को पैगम्बर कहते है.
- जिस वक्त जो भी पैगम्बर थे उनको ईश्वर द्वारा जो मार्गदर्शन दिया गया था वह उस वक्त का इस्लाम था.
- ईश्वरी मार्गदर्शन कोही इस्लाम कहते है इसलिए सारे पैगम्बरोने जो शिक्षा दी उसे इस्लाम कहते है.
- कोई भी पैगम्बर खुद किसी धर्म के अर्थात इस्लाम के संस्थापक नहीं थे क्यूंकि वह ईश्वर (अल्लाह) द्वारा दिया मार्गदर्शन लोगोंतक पहुंचते थे. वह इस्लाम धर्म के प्रवर्तक थे.
- मुहम्मद पैगम्बर साहब भी इस्लाम के पैगम्बर थे, संस्थापक नहीं थे और पैगम्बरो की तरह इस्लाम धर्म के पैगम्बर (प्रवर्तक) थे.
- इस्लाम एक जीवन प्रणाली है, और इस का संस्थापक कोई इन्सान न होकर स्वयं हमारा निर्माता ईश्वर (अल्लाह) है.
आशा है आपको इस्लाम धर्म के संस्थापक कौन थे? या इस्लाम धर्म के संस्थापक कौन है? इस्लाम क्या है? इस्लाम धर्म कैसे बना? इन सवलोका जवाब मिल गया होगा. इसी तरह इस्लाम धर्म का इतिहास कब से है और किसे इस्लाम धर्म का इतिहास कह सकते है इसकी जानकारी मिली होगी. इस पोस्ट में लिखी मालूमत अगर आपको पसंद आई हो तो इसे अपने दोस्तों और अन्य लोगोंमे शेयर करे.